कार्तिक पूर्णिमा


*सरायकेला में पूजे गए श्री हरि,खरकाई नदी घाट हो या बोइतरणि नदी घाट,चारों तरफ रही बोइतो बोंदाणो का उल्लास*

*दीपक कुमार दारोघा*

सरायकेला: जिला मुख्यालय सरायकेला में कार्तिक पूर्णिमा (रास पूर्णिमा) को पूजे गए श्री हरि।

यहां पैलेस के निकट रास मंदिर में भक्त श्रद्धालुओं ने राधा कृष्ण की पूजा अर्चना की। पुराना बस स्टैंड स्थित मंदिर में भी सरकारी प्रयास से रास पूजा उत्सव का आयोजन किया गया है। भक्त श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की एवं श्री हरि के प्रति आस्था जताया।

सरकारी नदी तट पर स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में भी तड़के सुबह भक्त श्रद्धालुओं की भीड़ रही। भक्त श्रद्धालुओं ने यहां भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना की। बताते चलें की कार्तिक पूर्णिमा को बोइतो बंदाणो उत्सव के रूप में भी मनाया गया।

सरायकेला खरकाई नदी के जगन्नाथ घाट,माजणा  घाट सहित विभिन्न नदी घाटों एवं जलाशय में केले की तना से बना नाव प्रवाहित कर प्राचीन ओड़िया परंपरा को ताजा किया।

सूत्रों के मुताबिक प्राचीन काल में उत्कल (ओड़िसा) के लोग व्यापार करने के लिए नाव द्वारा समुद्र मार्ग से जावा, सुमित्रा, वाली जैसे देशों में जाते थे।

देव उठानी एकादशी के बाद पूर्णिमा को इसकी शुरुआत होती थी। अच्छी व्यवसाय,सकुशल यात्रा के लिए नाव का भी पूजा करते थे। इसकी अभास हमे बोइतो बंदाणो उत्सव से मिलता है।


सूत्रों के मुताबिक ओड़िशा में भी बोइतो बंदाणो उत्सव धूमधाम से मनाया जाता रहा है। बोइतरणि  नदी घाटों में भी लोगों को कागज से बने रंग-बिरंगे नाव को प्रवाहित करते देखा गया। श्याम पाटणा बोइतरणि नदी घाट में भक्त श्रद्धालुओं की भीड़ रही।

लोगों ने कागज से बने नाव की पूजा अर्चना कर उसे नदी में प्रवाहित कर रश्म निभाया। भक्त श्रद्धालुओं ने नदी तट पर स्थित शिव मंदिर में पूजा अर्चना की एवं भगवान शिव के प्रति भी आस्था जताया। चारों ओर कार्तिक पूर्णिमा का उल्लास रहा।

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