*कभी शिक्षा संस्कृति का अलख जगाने वाला सौ साल पुराना सरायकेला स्कूल बिल्डिंग में उगने लगे पेड़ पौधे,बन सकता है संग्रहालय*
*दीपक कुमार दारोघा*
सरायकेला: भवन निर्माण विभाग के भवन प्रमंडल सरायकेला की अनदेखी से जिला मुख्यालय सरायकेला स्थित सौ साल पुराना बिल्डिंग में पेड़ पौधे उगाने लगे हैं।
सूत्रों के मुताबिक अब तक जिला में कितने सरकारी बिल्डिंग है। इसका लिखा जोखा भवन प्रमंडल के पास होना चाहिए। उक्त बिल्डिंग में सरायकेला प्रिंसली स्टेट के समय में स्कूल हुआ करता था। देश गणतंत्र के बाद भी इस बिल्डिंग में स्कूल संचालित था। इसके बाद स्कूल दूसरे जगह स्थानांतरित हुआ और यहां व्यवहार न्यायालय (कोर्ट) संचालित हुआ। झारखंड राज्य का गठन एवं सरायकेला खरसांवा जिला बनने के बाद कोर्ट भी यहां से दूसरे बिल्डिंग में स्थानांतरित हुआ। और इस बिल्डिंग के ऊपरी तल्ला में आरईओ कार्यालय खुला। ग्रामीण कार्य विभाग कार्य प्रमंडल सरायकेला अब भी इसी बिल्डिंग में है। जबकि बिल्डिंग के नीचे तल्ला में जिला परिषद कार्यालय संचालित होता था। अब दूधी में बनी नया बिल्डिंग में स्थानांतरित हो चुका है। वर्तमान उक्त बिल्डिंग के ऊपरी तल्ला में ग्रामीण कार्य विभाग कार्य प्रमंडल है। जबकि नीचे में सिंहभूम सांसद का कैंप कार्यालय है।
बिहार राज्य के समय में भवन निर्माण विभाग इस बिल्डिंग का रखरखाव करता रहा। बिल्डिंग की मेंटेनेंस होता रहा। साल में एक बार बिल्डिंग का रंगाई पुताई होता रहा। झारखंड बनने के बाद भी भवन निर्माण विभाग इस बिल्डिंग का साल में एक बार रंगाई पुताई करता था। हाल के कुछ वर्षों से संबंधित विभाग द्वारा बिल्डिंग का मरम्मत,रंगाई पुताई नहीं करने से बिल्डिंग में पेड़ पौधे उग चुके हैं।
सूत्र यह भी बताते हैं कि देश स्वाधीन के बाद सरायकेला प्रिंसली स्टेट का भी कुछ शर्त के साथ भारत में विलय हो गया। शर्त यह था कि सरायकेला पैलेस के अंदर की रखरखाव खुद(राजा) करेंगे। जबकि पैलेस के बाहर स्टेट संपत्ति,कला संस्कृति की रक्षा सरकार करेगी। इसको भी ध्यान में रखकर बिल्डिंग की रखरखाव होता रहा।
बताया जाता है कि उक्त बिल्डिंग 1924 में प्रिंसली स्टेट में बना था। अब तो यह पुरानी धरोहर है। कभी शिक्षा संस्कृति का अलख जगाने वाले यह स्कूल बिल्डिंग स्थानीय लोगों के नजर में एक संग्रहालय की तरह है।
बताते चलें कि सरायकेला छऊ विश्व प्रसिद्ध है। यूनेस्को ने छऊ को इनटेंजिबल कल्चरल हेरिटेज घोषित कर चुका है। यहां खरकाई नदी तट पर प्राचीन भैरव पीठ स्थली छऊ नृत्य का प्रशिक्षण स्थल रहा जो कि अपने आप में एक प्राचीन पर्यटन स्थल है। पुराने धार्मिक सांस्कृतिक स्थल हो या फिर भवन पर्यटनीय विकास से वंचित है। पर्यटनीय विकास के दृष्टि से ऐसे पुराने बिल्डिंग एक संग्रहालय भी बन सकता है। पर्यटन विकास के दृष्टि से पुराने धरोहर को जीवित रखना समय की मांग है।


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