*सरायकेला: करम पर्व पर भक्ति उल्लास का माहौल, विधायक दशरथ गागराई, गणेश महाली भी आम लोगों के साथ करम गीतों पर थिरके, प्रकृति देवता पर जताया आस्था*
*दीपक कुमार दारोघा*
सरायकेला: प्रकृति का पर्व करम के अवसर पर गांवों में भक्ति उल्लास का माहौल है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के पूर्व प्रत्याशी गणेश महाली के घर सालडीह में भी करम पूजा उत्सव आयोजित हुआ। खरसावां विधायक दशरथ गागराई, झामुमो वरिष्ठ नेता गणेश चौधरी भी इस पूजा उत्सव में पहुंचे एवं प्रकृति के देवता के प्रति आस्था जताया। और ढोल नागड़ा के साथ पारंपरिक नृत्य गीत में भी शामिल हुए।
सूत्रों के मुताबिक आदिवासी किवंदंती के अनुसार करमा धरमा दो भाई थे। इसमें करमा पत्नी से तंग आकर घर छोड़ दिया। परेशान धरमा भाई की खोज में निकला। जिस रास्ते में गया नदी को सुखा पाया। नदी ने कहा जब से करमा गया पानी सुख गया। पेड़ ने कहा जब से करमा गया फल बर्बाद होने लगे हैं। वृद्ध ने कहा जब से करमा गया शरीर से बोझ नहीं उतरता। आखिर खोजते हुए धरमा ने परेशान हालत में करमा को पाया जिसके शरीर पर फोड़े पड़ गए थे। आखिर समझा कर धरमा ने करमा को घर लौटने पर मना लिया। और घर लौटते वक्त पेड़ ने कहा तुमने भूखे को नहीं खिलाया। नदी ने कहा तुमने प्यासे को पानी नहीं दिया। घर पहुंचते ही करमा धरमा ने प्रकृति के देवता की पूजा की। उस दिन भादो माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी था।
बताया जाता है कि मनुष्य का कर्म प्रकृति के साथ संबंधित है। प्राकृतिक संसाधन की रक्षा का संदेश देने वाले इस पर्व को लोग भक्ति उल्लास के साथ मानने लगे। करम डाल घर के आंगन में स्थापित कर पूजा अर्चना करने लगे। और करम डाल के चारों ओर रात भर नृत्य गीत करने लगे। यह काफी लोकप्रिय गीत है कि "आज तोरे करम रोजा घोरे दुआरे,कल तोरे करम रोजा शंख नदी रे पारे"। प्रकृति से मिलने वाले चीजों के लिए भक्तगण प्रकृति देवता का आभार जताते हैं।
झारखंड आंदोलनकारी सम्मान प्राप्त सरायकेला पदमपुर निवासी धनपति सरदार के घर में भी करम पर्व में आसपास के ग्रामीण जुटे। देर शाम लाए गए करम डाल को पूजा स्थल में स्थापित कर पूजा अर्चना की। मुख्य पुजारी सुधीर सरदार ने करम पूजा की कहानी को उपस्थित भक्त श्रद्धालुओं को सुनाया। एम.पी सरदार ने कहा कि आदिवासी समाज की समृद्ध संस्कृति परंपरा को जीवित रखने के लिए इस वर्ष भी करम पूजा आयोजित है। बताते चलें कि पूजा अर्चना के बाद देर रात तक लोग करम गीत संगीत में मशगुल रहे।



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