गम्हा पूर्णिमा में रक्षाबंधन का त्यौहार

 

*रक्षाबंधन में बहनें बांधी भाइयों के कलाई में राखी, गम्हा पर्व का भी रहा उल्लास*

*दीपक कुमार दारोघा*

सरायकेला: गम्हा पूर्णिमा में हुई पवित्र रक्षाबंधन में बहनें भाइयों के कलाई में रक्षा सूत्र बांधी।

बिहार, ओडिशा, झारखंड से लेकर भारत के हर क्षेत्र में रक्षाबंधन की पवित्र त्यौहार मनाया गया।

बताया जाता है कि वामन रूपी श्री विष्णु ने राजा बलि से तीन पग जमीन दान में लिए। दो पग में धरती, आकाश को नाप लिया। तीसरा पग राजा बलि के सर पर रख दी और पाताल की जगह नाप ली। राजा बलि के प्रार्थना पर स्वयं विष्णु पाताल लोक में बली के प्रहरी (दरवान) बन गए। यह देख नारद के साथ मंत्रणा के बाद माता लक्ष्मी पाताल लोक पहुंची एवं राजा बलि को राखी बांधकर उन्हें भाई बना लिया। माता लक्ष्मी ने  उपहार के रूप में श्री विष्णु को मांगा। बहन के प्रति अपनी दायित्व को निभाते हुए राजा बलि ने भगवान विष्णु को विदा किया। भक्त के अधीन रहने वाले भगवान विष्णु माता लक्ष्मी के साथ बैकुंठ लौटे। यह पर्व भाई एवं बहन के बीच प्रेम एवं अटूट बंधन को दर्शाता है। 

यह भी बताया जाता है कि वेदव्यास रचित महाभारत के भीष्म पर्व के एक श्लोक में धृतराष्ट्र ने संजय से पूछा कि अंतरिक्ष से धरती कैसा दिखता है। इस पर संजय ने कहा कि जिस तरह पुरुष दर्पण में अपना मुख देखता है। उसी प्रकार अंतरिक्ष से यह पृथ्वी दिखाई देता है। इसके दो अंशों में एक ओर पीपल के पत्ते और दूसरी ओर खरगोश की तरह दिखाई देता है। कहा जाता है कि पीपल के पेड़, पत्ते में भी पालनहार विष्णु की उपस्थिति रहती है। गम्हा पूर्णिमा या बलराम जयंती में किसान पेड़ पौधे के साथ-साथ खेती कार्य में सक्रिय योगदान देने वाले गाय बैलों का भी पूजा करते हैं। और इस बलराम जयंती को उत्साह के साथ मनाते हैं।

 सरायकेला के गांव गांव में भी इसकी एक झलक देखने को मिला। राखी पर्व के साथ-साथ किसानों ने गम्हा पर्व को उत्साह के साथ मनाया। जिला मुख्यालय सरायकेला में भी गम्हा पर्व के साथ-साथ रक्षाबंधन का उल्लास रहा। यहां तक कि रक्षाबंधन में सरायकेला लड्डू का भी काफी क्रेज रहा। लोग दुकानों में सरायकेला लड्डू खरीदने में मशगूल दिखे। राखी दुकानों में भी भीड़ भाड़ रही। गम्हा पूर्णिमा में चारों ओर हर्षोल्लास का माहौल रहा।

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