*शहादत दिवस पर झारखंड में याद किए गए भगवान बिरसा मुंडा*
*दीपक कुमार दारोघा*
सरायकेला: धरती आबा की शहादत दिवस पर झारखंड में याद किए गए भगवान बिरसा मुंडा।
उलीहातु गांव में 15 नवंबर 1875 को जन्मे बिरसा मुंडा ने शुरुआती शिक्षा मिशनरी स्कूल से ली। इसाई नीति को समझा और उनके जुल्म से आदिवासियों को स्वतंत्र करने के लिए अभियान चलाया। 1895 में बिरसाईत नामक धर्म की स्थापना की। मुंडा समुदाय को एकजुट किया। अंधविश्वास,नशाखोरी,जीव हत्या जैसे कुरीति के खिलाफ अभियान चलाया। उन्होंने जल जंगल जमीन की रक्षा के लिए अंग्रेज साहूकार जमीदार के खिलाफ अभियान भी चलाया।
इनके गुरिल्ला लड़ाई ने अंग्रेजों के नाक में दम कर दिया। अंग्रेज इनको पकड़ने के लिए परेशान रहे। 9 जनवरी 1900 को रांची के पास डोम्बारी बुरु पहाड़ में बिरसा मुंडा के नेतृत्व में आदिवासियों ने जल जंगल जमीन की रक्षा के लिए अंग्रेजों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी। आखिर अंग्रेजों ने चक्रधरपुर जामकोपाई जंगल से 3 फरवरी 1900 में बिरसा मुंडा को गिरफ्तार कर लिया। रांची जेल में महानायक बिरसा मुंडा की 9 जून 1900 को मौत हो गया। महानायक स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की शहादत से लोगों में देश स्वतंत्रता की अलख जगी। आखिर 1947 में अंग्रेज शासन से देश को मुक्ति मिला। देश स्वाधीन के वर्षों बाद बिहार के गर्भ से झारखंड राज्य बना। भगवान बिरसा मुंडा के जयंती 15 नवंबर 2000 में झारखंड राज्य बना।
भगवान बिरसा मुंडा की जयंती हो या शहादत दिवस झारखंडवासी उनके कृतित्व को याद करते रहे हैं। भगवान बिरसा मुंडा के शहादत दिवस में रांची कोकर स्थित उनके समाधि स्थल में भी श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों की भीड़ रही। महामहिम राज्यपाल संतोष गंगवार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित की। यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने भी भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित की।
भगवान बिरसा मुंडा के कर्म स्थली डोम्बारी बुरु में खुंटी सांसद कालीचरण मुंडा ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
इधर सरायकेला खरसांवा जिला के उपायुक्त नितिश कुमार सिंह ने भी समाहरणालय स्थित बिरसा मुंडा के प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
झारखंड आंदोलनकारियों ने भी सीनी मोड़ स्थित बिरसा मुंडा प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित की । इसमें राजकिशोर लोहरा, अशोक महतो भी शामिल थे।
मौके में झारखंड आंदोलनकारी सम्मान प्राप्त राजकिशोर लोहरा ने बताया कि भगवान बिरसा मुंडा अन्याय के खिलाफ आवाज उठाया था। लोगों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उनके कृतित्व से प्रेरणा लेने का दिन है। इस अवसर पर लोगों ने उनके कृतित्व को याद किया।




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