Utkal Divas in Seraikella

 *सरायकेला के जनजीवन में उत्कल दिवस का उल्लास*

*दीपक कुमार दारोघा*

सरायकेला: जिला मुख्यालय सरायकेला की जनजीवन में उत्कल दिवस का उल्लास देखने को मिला।


लोगों ने बताया कि 1 अप्रैल 1936 को स्वतंत्र उत्कल (ओड़िशा) प्रदेश का गठन हुआ था। ओड़िया भाषाई प्रदेश ओड़िशा से सरायकेला(सिंहभूम) वर्ष 1947 के बाद राजनीतिक कारणों से विच्छिन्न है।

 पहले केंद्र सरकार ने सरायकेला (सिंहभूम) को बिहार में मिलाया। फिर बिहार के गर्भ से झारखंड राज्य बना। और सरायकेला (सिंहभूम) अब झारखंड राज्य में है। ओड़िशा से कटे वर्षों हो गए। फिर भी सरायकेला (सिंहभूम)के लोगों की भावना ओड़िशा के जनजीवन से जुड़ा हुआ है। इसका एक झलक आज सरायकेला में देखने को मिला। लोगों ने एक दूसरे को बधाई दी। लोगों के बीच मिठाइयां बांटी। एवं खुशी का इजहार किया।

मौके में उपस्थित उत्कल सम्मेलनी के प्रखंड अध्यक्ष सुदीप पटनायक ने सभी ओड़िया भाषिओं को उत्कल दिवस की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि  1 अप्रैल ओड़िया भाषिओं के लिए गौरव का दिन है। ओड़िया भाषा संस्कृति रक्षा के लिए उत्कल दिवस मनाया जा रहा है।


इससे पहले लोगों ने उत्कलणि  गोपबंधु के प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। बद्रीनारायण दारोघा, घासीराम सतपथि, दुखुराम साहू, अनिल जेना, चिरंजीवी महापात्र, मनबोध मिश्र, चित्रा पटनायक, के अलावे उत्कल सम्मेलनी के शिक्षक शिक्षिकाएं आदि कार्यक्रम में शामिल थे।

इधर उत्कलमणि गोपबंधु पाठागार में भी उत्कल दिवस धूमधाम से मनाया गया। पाठागार नाटक भवन में आयोजित कार्यक्रम में लोगों ने उत्कल गौरव मधुसूदन दास के कृतित्व को याद किया। और उनके चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं उत्कलमणि गोपबंधु दास के चित्र पर भी श्रद्धा सुमन अर्पित किया। और इन्हें ओड़िशा प्रदेश एवं ओड़िया भाषा जागृति के लिए याद किया। कार्यक्रम के दौरान "वंदे उत्कल जननी" तथा "पथो एबे सोरी नाही" जैसे ओड़िआ गीतों से भवन गूंजने लगा। चंद्रशेखर कर के गायन से उपस्थित श्रोता मोहित हुए बगैर नहीं रह पाए। 

सुशांत महापात्र, काशीनाथ कर, विजय कर, तरुण भोल, जलेश कवि, सनंद आचार्य, नुतू महांती, धीरू षडंगी, मणि ज्योतिषी, चक्रधर महांती सहित काफी संख्या में ओड़िया भाषी लोग उपस्थित थे।

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